अरे द्वारपालों,
कन्हैया से कह दो,
के दर पे सुदामा,
गरीब आ गया है।
भटकते-भटकते,
न जाने कहा से
तुम्हारे महल के,
करीब आ गया है।।
न सर पे है पगड़ी,
न तन पे है जामा,
बता दो कन्हैया,
को नाम है सुदामा।
तुम इक बार मोहन से,
जा कर के कह दो,
के मिलने सखा,
बदनसीब आ गया है।।1।।
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो……….
सुनते ही दौड़े,
चले आये मोहन ,
लगाया गले से,
सुदामा को मोहन।
हुआ रुक्मणि को,
बहुत ही अचंम्भा,
ये मेहमान कैसा,
अजीब आ गया है।।2।।
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो……….
बराबर पे अपने,
सुदामा बिठाये,
चरण आसुओ से,
श्याम ने धुलाये।
न घबराओ प्यारे,
जरा तुम सुदामा,
ख़ुशी का समां तेरे,
करीब आ गया है।।3।।
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो……….
भजन भंडार