एक आसरो देव धणी रो,
दूजो माँ कंकाली को,
जग जननी चित्तोड़ बिराजे,
नाम जपु कंकाली को,
सांचा मन सु सुमिरन कर लो,
साँचो शरणों माँ जी को,
शिखर चढ़ ने दर्शन कर लो,
किलो बण्यो कंकाली को,
एक आसरो देव धणी रो………
सतयुग की लक्ष्मी कहाई,
सतिया रो दुःख हरने को,
द्वापर युग में नाम धरायो,
संग है किशन कन्हाई को,
एक आसरो देव धणी रो……….
क्रेता जनक दुलारी जानकी,
जनक प्रतिज्ञा धारी को,
दशरथ के घर राम रघुराई,
सीता राज दुलारी को,
एक आसरो देव धणी रो………
कलयुग माही बाजी कलिका,
किला फ़तेह कराने को,
बादशाह की फोजा मारी,
राणा जीतन हारी को,
एक आसरो देव धणी रो……….
दिल्ली सु अकबर चढ़ आयो,
दोडा धाक जमाने को,
पदमनी की पुकार सुनता,
सतिया लाज रखाने को,
एक आसरो देव धणी रो………
अनधन रूप की हर कोई मांगे,
पुत्र देवे भगतानी को,
क्षत्राणी शक्ति सु मांगे,
दे धन रूप दिलाने को,
एक आसरो देव धणी रो,
दूजो माँ कंकाली को,
जग जननी चित्तोड़ बिराजे,
नाम जपु कंकाली को,