कालो गणों रुपालो रे,
गढ़बोरिया वालो रे,
श्री चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भाला वालो रे,
शीश पे सोहे मुकुट मनोहर,
कुण्डल की छवि न्यारी रे,
पिलो पीताम्बर बादामी ओहे,
बागा रो हद भारी रे,
झलमल-झलमल तुर्रा भलके,
लागे वालो रे,
अरे मने लागे प्यारो रे,
श्री चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भाला वालो रे,
चढ़ी चढ़ाऊ आको ही सबही,
सोना को यो गेणों है,
मन मोहन लाला मुस्काए,
मन मोहे मीठा नैना रे,
अधर धरी मुख मुरली राजे,
छेल छोगाला रे,
श्री चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भाला वालो रे,
कड़ा नेवरी कमर कंदोरा,
पग पायल झाझरिया रे,
ढाल ढलकती हिये कड़कती,
सोहत है सांवरिया रे,
छड़ी चवर सर छत्र विराजे,
लागे वालो रे,
श्री चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भाला वालो रे,
सेज पालकी राम रेवाड़ी,
चांदी को यो रथडो रे,
ग्यारस झूले छेल छोगालो,
दुनिया दर्शन पावे रे,
थाली मादल रा बाजा बाजे,
घणो नखरालो रे,
श्री चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भाला वालो रे,
गणा बिराज्या मंदिर मालिया,
साला और झरोखा,
रंग रंगीला कांच जड़ाया,
और चित्रम अनोखा रे,
सभा भवन सुन्दर दरवाजा,
बण्यो रुपालो रे,
श्री चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भाला वालो रे,
छेल छोगाला कलयुग माही,
दिखो थोड़ो झेलो रे,
कहे भैरव सुण भंडार वाला,
सुनजो म्हारो हेलो रे,
भगता भीडू भोला को,
थू राम रुपालो रे,
श्री चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भाला वालो रे,