दोहा – जनम मीरा थारो मेड़ते, मरुधर जिणरो देश,
दुदा जी री लाडली प्रभु, कीदो भगवा वेश,
ओ जी थाणे राणे जी समझाया,
मीरा थारे काही लागे रे गोपाल,
मीरा थारे काई लागे रे गोपाल,
विष रा प्याला राणे भेज्या,
दीजो मीरा ने जाय,
कर चरणामृत पी गई रे,
स्याय करी रे रघुनाथ,
सर्प पिटारा राणे भेज्या,
दीजो मीरा ने जाय,
पकड़ गले में पेरियो जी,
हो गयो नवसर हार,
मीरा महला उतरी जी,
ऊँटा कसिया पीलाण,
गढ़ तो छोडयो बाई मेडतो रे,
काशी में कीन्हो विश्राम,
चार फ़रिश्ता राणे भेज्या,
मीरा री खबर ले आय,
मर गई वे तो बाल दीजो रे,
चन्दन दीजो दाग,
पग से बजावे मीरा घुघरा जी,
हाथ से बजावे ताल,
मुख से बजावे मीरा बांसुरी जी,
गावे है मदन गोपाल,
बाई मीरा री बिनती जी,
सुनजो सिरजन हार,
शरने आया री लजिया राख जो,
चारभुजा रा नाथ,
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