समय का एक पहिया चलता है,
उस पहिये के साथ किसी का,
भाग्य बदलता है,
समय का एक पहिया चलता है,
लख घौड़ा लख पालकी,
ज्यारे (जिनके) सर पर छत्र धरे,
सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र देखो,
नीच घर नीर भरे,
उन राजा के लाल को देखो,
बिन कफ़न के जलता है,
समय का एक पहिया चलता है…….
भरी सभा में द्रौपद सुता को,
लाया अभिमानी (दुर्योधन )
भीष्म कर्ण और द्रोण जा बैठे,
पर एक ना मानी,
पाँचो पति द्रौपदी के देखो,
बैठे बैठे जलता है,
समय का एक पहिया चलता है…….
हाथ जोड़ ने अरज करी हो,
मंदोदरी राणी,
बार बार समझाया रावण को,
एक नहीं मानी,
धर साधू का वेष रावण,
माँ सिया को छलता है,
समय का एक पहिया चलता है……
बलख़ बुखारा बादशाह,
सुलतान बड़ा नामी,
सुन दासी की बात,
मन में हो गई हैरानी,
रथ पालकी त्याग सभी तज,
राज निकलता है,
समय का एक पहिया चलता है……
समय का एक पहिया एक दिन देखो,
राजा दशरथ के आया,
सरयू नदी के तीर खड़ा वो,
बाण चलाया,
लगा तीर श्रवण के देखो,
झट प्राण निकलता है,
समय का एक पहिया चलता है,……..
तुलसी नर का क्या बड़ा और,
समय बड़ा बलवान,
काबे लूटी गोपियाँ,
वही अर्जुन वही बाण,
समय से चलता शशि को देखो,
भान निकलता है,
समय का एक पहिया चलता है……
समय का एक पहिया चलता है,
उस पहिये का साथ किसी का,
भाग्य बदलता है,
समय का एक पहिया चलता है……..