आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की-२।।
कंचन थाल कपूर की बातिया,
आरती करत अवध की सखिया,
जय जय जय रघुवर की,
भई सियाराम लखन की।।
आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की।।
राजा दशरथ घर भगवान जन्मिया,
कंचन भौमि बधाई,
भई सिया राम लखन की ।।
आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की।।
राजा जनक घर सीता रे लाडली
हो रामचंद्र ब्याह रचायो,
भई सियाराम लखन की ।।
आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की।।
भूपन को अभिमान मिटायो
धनुष रे तोड़ कर जानकी से ब्याह रचायो
ऐ जी राज हरी सियावर की,
भई सियाराम लखन की ।।
आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की।।
सागर पर प्रभु सिला जो तराई,
सेना पार लगाई,
भई सियाराम लखन की ।।
आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की।।
जा लंका माहि डेरो रे दिनों,
रावण मार गिराई,
भई सियाराम लखन की ।।
आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की।।
रावण मार के श्री राम घर आया,
भक्तन हिट अवतार लियो है,
तुलसी रे दास वारो संत भयो है,
चहुँ दिशा घुणी जय जय की,
भई सियाराम लखन की।।
आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की।।
रावण मार अवध में आया,
अवध सखी मिल मंगल गाया
घर घर ज्योत जलाई,
भई सियाराम लखन की।।
आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की।।
माता कौशल्या वारि आरती उतारे,
तुलसी रे दास वारा गुण जस गाया,
हर्ष भये रघुवर की,
भई सियराम लखन की ।।
आरती करो सखी प्रेम भई,
सियाराम लखन की।।
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