काया सुनी-सुनी लागे,
म्हारा गुरूजी बिना,
गुरूजी बिना म्हारा सायब जी बिना,
काया सुनी-सुनी लागे,
म्हारा गुरूजी बिना।
मंदिर महल भवन सब सुना,
दीपक ज्योत बिना
ज्ञान बिना यो हृदय सुनो
धरती इन्दर बिना।
काया सुनी-सुनी लागे ………
थारा माल खजाना धन और दौलत,
ये सब धर्म बिना
पुत्र बिना यो परिवार सुनो
तिरिया पति बिना।
काया सुनी-सुनी लागे ………
गाडी मोटर इंजन सुना,
ये सब तेल बिना
वेद बिना यो ब्राह्मण सुनो
हाथी दांत बिना।
काया सुनी-सुनी लागे ………
हंस बिना यो सरवर सुनो,
भक्ति भाव बिना
कश्ती तो केवट बिना सुनी
केवट राम बिना।
काया सुनी-सुनी लागे ………
माया तो मनखा बिन सुनी,
घोडा जिण बिना
हरी भजन तू करले हजारी,
लालच लोभ बिना।
काया सुनी-सुनी लागे ………
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