दोहा – कागा किसका धन हरे,
कोयल किसको दे,
मीठी वाणी बोल के वा,
जुग अपना करले।
कोयल वाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा,
कोयल बाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
हरि रो नाम ले बन्दा,
थारी जीवहा घिस जावे,
सावरिया रो नाम ले बन्दा,
थारी जीवहा घिस जावे,
कोयल बाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
पाँचो ही सखीया बाग में जावे,
झोली फूलडा री भर लावे,
आधा वा सतगुरु ने देवे,
आधा वा झोली माई राखे,
कोयल बाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
आमलिया री टूटी रे डाली,
ओ रोवे बाग रो माली,
क्यु रोवे ए बाग रा माली,
टूटे नही पाछी वा डाली,
कोयल बाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
मीरा बाई श्याम री दासी,
कट जाइयो जमडा री फांसी,
मीरा बाई श्याम री दासी,
कट जाइयो जमडा री फांसी,
कोयल वाणी बोंल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा,
कोयल बाणी बोंल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।