थाने या कई सूजी रे,
राधा का रसिया,
राधा का रसिया रे,
म्हारे हिवड़े बसिया।।
थारे नाम रा मीरा बाई,
गणा तन्दुरा बजाया।
प्रेम भाव से भक्ति किनी,
नाग गले लिपटाया।।
थाने या कई सूजी रे राधा का रसिया……..
थारे नाम रा शिबरी मिलण,
गणा देवरा धोवया।
एडा दुःख वाने दिना,
गणा टोपला तोक्या।।
थाने या कई सूजी रे राधा का रसिया……..
भक्त सुदामा मित्र सुदामा,
थारो पकड्यो पायो रे।
ऐड़ा दुःख वाने दीना,
मांग-मांग अन्न खाया।।
थाने या कई सूजी रे राधा का रसिया……..
हरिश्चंद्र था दानी राजा,
भरियो नीच घर पानी रे।
एक टका सोना रे खातिर,
रोई वाकी रानी रे।।
थाने या कई सूजी रे राधा का रसिया……..
सोना जू तावे भक्ता ने,
पछे देवे थू साथ।
कहे वज़ीर भक्ता रो बीड़ू,
नहीं बिगाड़े लाज।।
थाने या कई सूजी रे राधा का रसिया……..
भजन भंडार
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