तर्ज- दिल लुटने वाले
महावीर तुम्हारे द्वारे पर,
एक दास भिखारी आया है,
प्रभु दर्शन भिक्षा पाने को,
दो नयन कटोरे लाया है,
नहीं दुनिया में कोई मेरा है,
आफत ने मुझको घेरा है,
जग ने मुझको ठुकराया है,
बस एक सहारा तेरा है,
मेरी बीच भंवर में नैया है,
एक तु ही पार लगइया है,
लाखो को ज्ञान सिखाया है,
भव सिधु से पार उतारा है,
धन दोलत की कोई चाह नहीं,
घर बार छुटे तो परवाह नहीं,
मेरी इच्छा है तेरे दर्शन की,
संकट से मन घबराया है,
आपस में कुछ भी प्रेम नहीं,
प्रभु तुम बिन हम को चैन नहीं,
अब जल्दी आकर सुधि ले लो,
संकट से दिल घबराया हो,