
🔱 ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने – भजन लिरिक्स
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आये,
कान्हा जी आये, संग राधा भी आये।
वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
डमरू को सुनकर जी गणपत चले हैं,
गणपत चले, संग कार्तिक चले।
वहाँ अम्बे का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
डमरू को सुनकर जी रामा जी आये,
रामा जी आये, संग लक्ष्मण जी आये।
मैया सीता का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने।
डमरू को सुनकर जी ब्रह्मा चले,
जहाँ ब्रह्मा चले, वहाँ विष्णु चले।
मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
डमरू को सुनकर जी गंगा चले,
गंगा चले, वहाँ यमुना चले।
वहाँ सरयू का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने।
डमरू को सुनकर जी सूरज चले,
सूरज चले, वहाँ चंदा चले।
सारे तारों का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने।
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।