
भेरुजी थारे शरणे आया वो,
रूड़ो रूपालो थारो देवरो भेरुजी।
रूड़ो थारो दरबार, भेरुजी थारे शरणे आया वो॥
शरणे आया री, लाज राखजो भेरुजी,
राखो हिवड़े लगाय, भेरुजी थारे शरणे आया वो॥
खजुरिया में भारी बणियो देवरो भेरुजी,
दुखी भक्तां री करो सहाय।
भेरुजी थारे शरणे आया वो॥
जागे रातां री बेला में, थारे नाम रटूं,
भक्तां रा तू रखवार, भेरुजी थारे शरणे आया वो॥
सुन ले मारी अरज, थारे दर पे आया,
भरोसो है थारी जात पे, भेरुजी थारे शरणे आया वो॥
पग पकड़या थारा, अब ना छोड़ूँ,
अंतर में तू ही समाय, भेरुजी थारे शरणे आया वो॥