दोहा- अष्ट पहर चौसठ घडी,
सिवरू देवी तोय।
पट मंदिर का खोल दे,
मैया दर्शन देवो माय।।
चौसठ जोगनी ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय
घूमर गालनि ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय।।
हंस सवारी कर जगदम्बा,
ब्रह्मा रो रूप बनायो।
चार वेद मुख चार बिराजे,
चारा रो यश गावे।।
चौसठ जोगनी ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय
घूमर गालनि ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय।।
गरुड़ सवारी कर जगदम्बा,
विष्णु रो रूप बनायो।
शंख चक्र गदा पदम् विराजे,
मधुबन बिन बजायो।।
चौसठ जोगनी ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय
घूमर गालनि ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय।।
बेल सवारी कर जगदम्बा,
शिवजी रो रूप बनायो।
जटा मुकुट में गंगा बिराजे,
शेष नाग लिपटायो।।
चौसठ जोगनी ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय
घूमर गालनि ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय।।
सिंह सवारी कर जगदम्बा,
शक्ति रो रूप बनायो।
सियाराम तेरी करे स्तुति,
भक्त जन यश गायो।।
चौसठ जोगनी ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय
घूमर गालनि ऐ देवी रे,
देवलिये रम जाय।।
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