
🪔 दोहा:
लुट सके तो लुट ले और,
राम नाम धन लूट,
पीछे फिर पछतावनो,
तेरो प्राण जाएगो छुट।
कबीर कुआ एक है,
और पनिहारी अनेक,
बर्तन सबके न्यारे न्यारे,
पानी सब में एक।
🎵 भजन लिरिक्स:
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
औ भवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
हाँ जब यम जीव को लेने आये,
नैना धर्यो नहीं धीर,
मार-मार के प्राण निकाले,
नैना बरसेयो नीर।
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
हाँ कोई मनाया देवी-देवता,
कोई मनाया पीर,
आया बुलावा उस घर का रे,
जान पड़ेला आखिर।
भवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
कोई रोवे मल-मल रोवे,
कोई ओढावे चीर,
चार जना मिल मत उपायो,
ले गया गंगा तीर।
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
माल-खजाना कोई न ले जाए,
संग चले ना शरीर,
जाए जंगल चिता लगाईं,
कह गए दास कबीर।
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
धन दौलत की क्या कहो,
संग जावे नहीं शरीर,
जा मरघट में चिता जलाई,
कह गए दास कबीर।
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।
औ भवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर।