
दोहा – तेरे दरबार का पाने नज़ारा,
मैं भी आया हूँ,
ज़रा देदो माँ चरणों में सहारा,
मैं भी आया हूँ।
दोहा- सुना है दर पे तेरे इस जहाँ की,
हर खुशी मिलती,
जगा दो सोई किस्मत का सितारा,
मैं भी आया हूँ।
भजन-
तू जो दया ज़रा सी करदे,
सर पे हाथ मेरे माँ धर दे,
हो जाए दुखड़े दूर,
कट जाए हर एक विपदा मेरी,
मैं खड़ा द्वारे पे पल‑पल,
करूं मैं विनती तेरी।
माँ मैं खड़ा द्वारे पे पल‑पल,
करूं मैं विनती तेरी।
तेरी किरपा हो जाए,
बिगड़े काम बने सब मैया,
मैं रब को ना मानूं,
मेरे लिए तू ही रब मैया,
तेरी ज्योत जगे दिन‑रात,
दुनिया माने शक्ति तेरी,
मैं खड़ा द्वारे पे पल‑पल,
करूं मैं विनती तेरी।
कहते हैं तेरे दिल में,
नदिया ममता की है बहती,
करें प्यार-दुलार बड़ा,
तू भक्तों के अंग-संग रहती,
तेरी दया का अंत नहीं,
कर दे दूर मुसीबत मेरी,
मैं खड़ा द्वारे पे पल‑पल,
करूं मैं विनती तेरी।
मूरख अज्ञानी हूँ,
मुझको ज्ञान नहीं है कोई,
तेरी महिमा क्या जानूं,
पूजा-ध्यान नहीं है कोई,
गर खोल दे अंखियाँ तू,
फिर तो खुल जाए किस्मत मेरी,
मैं खड़ा द्वारे पे पल‑पल,
करू मैं विनती तेरी।
जग जननी ऐ माता,
ज्योतो वाली शेरो वाली,
तू चाहे तो भर दे पल में,
भक्त की खाली झोली,
कहे फिर तू भँवरो में,
नैया फसी है नैया मेरी,
मैं खड़ा द्वारे पे पल‑पल,
करूं मैं विनती तेरी।
तू जो दया ज़रा सी करदे,
सर पे हाथ मेरे माँ धर दे,
हो जाए दुखड़े दूर,
कट जाए हर एक विपदा मेरी,
मैं खड़ा द्वारे पे पल‑पल,
करूं मैं विनती तेरी,
माँ मैं खड़ा द्वारे पे पल‑पल,
करूं मैं विनती तेरी।