मैं थाने शिमरू गजानन्द देवा,
वचनो रा पालनहारा जी औ।
सरस्वती मात शारदा ने सिंवरूं,
हृदय करो नी उजीयाला जी,
नीन्द्रा नीवारो भोलानाथ ने।।
(1) जरनी न जायो उदर नहीं आयों |
गवरा रो पुत्र केवायों जी ।।
में थाने शिमरू गजानन्द………………….
(2) पाणी सु पतलो पवन सु झीणों-2
शौभा वरणी न जावै जी औ।।
में थाने शिमरू गजानन्द…………………..
(3) हाथ पंसारू हीरलो हाथ नहीं आवै-2
मुठीयां में नाही समावै जी औ।।
में थाने शिमरू गजानन्द………………….
(4) राजा भी शिमरे जाने प्रजा भी शिमरे-2
शिमरे ला जोगी जटाघारी जी औ।।
में थाने शिमरू गजानन्द………………….
(5) ब्रहमा भी शिमरे जाने, विष्णु भी शिमरे।
शिमरे ला शंकर देवा जी औ।।
में थाने शिमरू गजानन्द……………………
(6) बोलीया गोरखनाथ मछन्दरजी रा चैला।
पथ भक्ता रै वाली राखो जी औ।।
में थाने शिमरू गजानन्द………………….
भजन भंडार