मानव किसका अभिमान करे,
दिन चढ़ते उतरते आते है,
किस्मत जो साथ नहीं देती,
पत्थर भी उछलकर आते है,
जिसके दरवाजे देव सभी,
देने को सलामी आते है,
किस्मत ने करवट ली पल में,
पानी में पत्थर तीर जाते है,
मानव किसका अभिमान करे…..
गण राज रावन कुम्भकरण,
रण में रणवीर कहाते है,
उनकी सोने की लंका पर,
वानर भी फ़तेह कर जाते है,
मानव किसका अभिमान करे……
जिस की बाणो की वर्षा से,
कई महायोद्धा घबराते है,
अर्जुन के जैसा धनुरधारी,
किनर बन समय बिताते है,
मानव किसका अभिमान करे…..
उपकार ये सब कुछ ईश्वर का,
सचे संत यही बतलाते है,
चोरी झूठ कपट ने तजो,
सांवरिया साथ निभाएगा,
मानव किसका अभिमान करे……
भजन भंडार