मेरा श्याम अपने दर पे,
आँखों से मय पिलाये।
मोहन जिसे पिलाये,
उसे होश कैसे आये।।
मीरा ने पिली मस्ती,
अपनी मिटा दी हस्ती।
दीवानी हो गई है,
और बावरी कहाय।।
मेरा श्याम अपने दर पे,
आँखों से मय पिलाये।
मोहन जिसे पिलाये,
उसे होश कैसे आये।।
पहले पिलाई नन्द को,
सुध-बुध भुला दी उसकी।
फिर आप नंदा बनकर,
मोहन चरण दबाये।।
मेरा श्याम अपने दर पे,
आँखों से मय पिलाये।
मोहन जिसे पिलाये,
उसे होश कैसे आये।।
है दिन बंधू तेरी,
दया नहीं तो क्या है।
ठुकराए जिसको दुनिया,
उसे तू गले लगाए।।
मेरा श्याम अपने दर पे,
आँखों से मय पिलाये।
मोहन जिसे पिलाये,
उसे होश कैसे आये।।
भजन भंडार