
पाँच पाना रो बिडलो बनायो,
भरी सभा में फिरवायो,
ऊन बिडा ने कोई नहीं झेले,
जद हनुमत लियो रे उठायो,
बजरंग बाला जी,
मारो बैडो लगा दिजो पार,
बजरंग बाला जी…..
बिडलो उठायो मुख में दबायो,
चरणां में शीश नमायो,
कर किलकारी कूद गयो सागर,
पनघट आसन लगायो,
बजरंग बाला जी……
पाणी री पनिहारी या बोली,
कुण जिनावर आयो,
जीण देश री सीता कहईजे,
वटे रो बन्दर आय,
बजरंग बाला जी……
इतरी बात सुनी हनुमत ने,
नवल बाग में आयो,
जीण डाल नीचे सीता बैठी,
मुंदड़ी दी छिटकाय,
बजरंग बाला जी……
देख मुंदड़ी जुरवा लागी,
कुण जिनावर लायो,
तुलसीदास आस रघुवर की,
नैना में नीर भर आय,
बजरंग बाला जी…..