सतसंग में जावा कोनी दे,
भजना में जावा कोनी दे,
आछी तो परणाइ रे नुगरा माल में,
के तो होती रे बन री रोझडी,
दे ती हरियो-हरियो घास,
आयोड़ा साधू ने राह बतावती,
के तो होती रे बन री बावडिया,
देती ठंडो-ठंडो नीर,
आयोड़ा साधुड़ा पानी पिवता,
के तो होती रे बन री लकड़िया,
देती तपियो-तपियो ताप,
आयोड़ा साधुड़ा धुनी तापता,
के तो होती रे बन री पिपली,
देती ठंडी-ठंडी छाव,
आयोड़ा साधुड़ा छाया बेठता,
के तो होती रे बागा री कोयला,
देती मीठी-मीठी राग,
आयोड़ा साधुड़ा वाणी सुणता,
राणी रूपा दे री सुणज्यो बिनती,
राखो चरणा रे माय,
आयोडा साधुडा री चरणा सेवती,