माँ अम्बा थारो,
ऊंचो देश अखंड,
ऊंचो गणो देश अखंड ,
भवानी थारो ,
ऊंचो देश अखंड,
मुल्क मेवाड़ा माई प्रकटी,
जोगणिया जगदम्ब,
ऊपर माल में बैठी बाईसा,
मँगस रे मज मंड,
माँ अम्बा थारो ऊंचो देश…..
चमके है चितौड़ दुर्ग सु,
मंदिर रो यो अण्ड,
दिखे है दुरा सु उडतो ,
देवल रो ध्वजा दंड,
माँ अम्बा थारो ऊंचो देश…..
चक्र पूजारी भेट चढ़े,
अजिया सुत रो मुण्ड,
थारा ने हिरदा में थापे,
देवे दुष्ट ने दण्ड,
माँ अम्बा थारो ऊंचो देश…..
गाजत सिंह घनेरा आवे,
खाय खाद रा खण्ड,
शिवजी का शिवालय सामा,
तल सु भरया रहें कुंड,
माँ अम्बा थारो ऊंचो देश…..
पाप विचारयो पापी राजा,
कोपी हो भर भंड,
दुर्ग छोड़ ने आई अम्बा ,
बवा वदो कर दो खंड,
माँ अम्बा थारो ऊंचो देश…..
चण्ड मुण्ड और दानव दल ने,
चुरया थे चावंड,
शुम्भ निशुम्भ महिप ने मारण,
धरियो रूप प्रचंड,
माँ अम्बा थारो ऊंचो देश…..
सगत रूप सीता बण पेरया,
रावण रा दस मुण्ड,
भगड़ावत झुजाया जे मत,
द्रोपदी भारत रे चण्ड,
माँ अम्बा थारो ऊंचो देश…..
देशा देश परगणे ठाणि,
घर घर ज्योत अखंड,
गांव नेवरियो नाम भेरव,
कथ गावे यो छंद,
माँ अम्बा थारो ऊंचो देश…..
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