
वारी जाऊं रे बलिहारी जाऊं रे,
मैं वारी जाऊं रे बलिहारी जाऊं रे,
म्हारा सतगुरु आँगण आया मैं वारी जाऊं रे,
सतगुरु आँगण आया, गंगा‑गोमती लाया रे,
म्हारी निर्मल हो गयी काया, मैं वारी जाऊं रे,
सतगुरु दर्शन दिया, म्हारा भाग उदय कर दिया,
मेरा करम‑भ्रम सब छीना, मैं वारी जाऊं रे,
सब सखी मिलकर आओ, केसर‑का तिलक लगाओ रे,
गुरुदेव ने बधाई करी, मैं वारी जाऊं रे,
सत्संग बन गयी भारी, मंगला चार उचारो रे,
मारी खुली ह्रदय की ताली, मैं वारी जाऊं रे,
दास नारायण जस गाया, चरणों में शीश नवाया,
म्हारा सतगुरु पार उतारे, मैं वारी जाऊं रे,
वारी जाऊं रे बलिहारी जाऊं रे,
मैं वारी जाऊं रे बलिहारी जाऊं रे,
म्हारा दाता आँगण आया मैं वारी जाऊं रे,