थारी लंका सुनी हो गयी रे,
कठे गयो मारा कंथ,
तूने कहा में ऐसा कर दूंगा,
धुआ अग्नि में बंद कर दूंगा,
सीडी मंगाऊ नभ के ऊपर,
ऊँचो काढ दू पंथ रे,
थारी मन की मन में रे गई रे,
कठे गयो मारा कंथ,
थारी लंका सुनी हो गयी रे…….
सात समुन्दर है नौ खाई,
कुम्भकरण बल बंका भाई,
मेघनाथ सा पुत्र कहाए,
सब को आ गयो अंत रे,
थारी किस्मत खा गयी झोलों रे,
कठे गयो मारा कंथ,
थारी लंका सुनी हो गयी रे……..
सोना का बणीया कोर कांगरा,
बणीया है ये लाख-लाख रा,
जहा पर गुमें रीछ बांदरा,
ये धरती का दन्त रे,
थारी मन की मन में रह गयी रे,
कठे गयो मारा कंथ,
थारी लंका सुनी हो गयी रे…….
सीता चुरा कर के तु लाया,
लंका का राज विभीषण पाया,
कहे मोहन उसे मार गिराया,
ऐसा है भगवंत रे,
थारी उल्टी गंगा बह गई रे,
कठे गयो मारा कंथ,
थारी लंका सुनी हो गयी रे…….