दुर्बल की नाव डूबी,
जगदम्ब तार दीजिये-२।
मंगत पर मेहरबान सदा,
दानी दातार दीजिये।।
मैया गुणों की खान है,
मै अवगुण का हु खजाना।
निर्मल ह्रदय है आपका,
ममता का प्यार दीजिये।।
दुर्बल की नाव डूबी,
जगदम्ब तार दीजिये-२।
मंगत पर मेहरबान सदा,
दानी दातार दीजिये।।
तेरी शरण मै आ गया,
आगे मुझे निभाना।
हुई चाकरी में चूक तो,
शक्ति सुधार लीजिये।।
दुर्बल की नाव डूबी,
जगदम्ब तार दीजिये-२।
मंगत पर मेहरबान सदा,
दानी दातार दीजिये।।
ये तप, और तपस्या,
गुण तेरा ही गाता।
शारदा तू सरस्वती
शब्दो से तार दीजिये।।
दुर्बल की नाव डूबी,
जगदम्ब तार दीजिये-२।
मंगत पर मेहरबान सदा,
दानी दातार दीजिये।।
मैया नजर से तेरी,
कई अपंग, अंग तारे
सुमिरन सूरज ये बारी का,
अवतार धार लीजिये।।
दुर्बल की नाव डूबी,
जगदम्ब तार दीजिये-२।
मंगत पर मेहरबान सदा,
दानी दातार दीजिये।।
भजन भंडार