सुर्पणखा का वीर रे मारी,
नकटी ननद रा वीर रे,
मारी सीख सुलकनी,
मानो सा सुर्पणखा रा वीर,
पांच तत्व को यो बण्यो पिंजरों,
इण ने केवे शरीर,
जैसी सीता वैसी में हु,
थोड़ो मन में धारो धीर,
मारी सीख सुलकनी,
मानो सा सुर्पणखा रा वीर,
छोटा भाई लक्ष्मण कहिजे,
मोटा छे रघुवीर,
पल में राव ने रंक करी डाले,
वि बदले है तकदीर,
मारी सीख सुलकनी,
मानो सा सुर्पणखा रा वीर,
जाने था एक वानर,
समझो वि तो हनुमत वीर,
पल माहि लंका जला दी थाकी,
कर दिना रे फ़क़ीर,
मारी सीख सुलकनी,
मानो सा सुर्पणखा रा वीर,
क्रोध घमंड से यो वंश जावे,
और जावे जागीर,
कहत मंदोतर सुनो पिया रावण,
थारी घंडक न खावे खीर,
मारी सीख सुलकनी,
मानो सा सुर्पणखा रा वीर,