सूखा ने हरियो कर देणो
गढ़बोर धणी रो कई केणो।।
है श्याम रूप आसन धारी,
दर्शन कर हर्षित नर नारी।
सोना चांदी रो सज गहनो
गढ़बोर धणी रो कई केणो।।
सूखा ने हरियो कर देणो
गढ़बोर धणी रो कई केणो।।
है रूप रुपाला नारायण,
बैकुंठ पति अवतारायण।
भुज चार धार यो प्रकट वेनो
गढ़बोर धणी रो कई केणो।।
सूखा ने हरियो कर देणो
गढ़बोर धणी रो कई केणो।।
ये पल में दुखड़ा दूर करे,
सुर संतन हित अवतार धरे।
श्रष्टी को संकट हर लेणो,
गढ़बोर धणी रो कई केणो।।
सूखा ने हरियो कर देणो
गढ़बोर धणी रो कई केणो।।
रघुवंश मणि वण रघुनायक,
प्रभु भक्ति मुक्ति रा सहायक।
मन मोहन वण मन में रेणो,
गढ़बोर धणी रो कई केणो।।
सूखा ने हरियो कर देणो
गढ़बोर धणी रो कई केणो।।
भजन भंडार