आवो जी गणराज विनायक,
वैगा बैठो पाट,
ठाठ तुम कर देना।
अरे ठाठ तुम कर देना हो,
ठाठ तुम कर देना।।
(1) सबसे प्रथम गोरी नन्द नै मनावा,
कथा किर्तन मै नुत सुनावा।
आज सुधारो काज,
आज मे जोवा थारी वाट
ठाठ तुम कर देना।।
आओ जी गणराज…
(2) सृष्टी रचि तब प्रथम पुजाये,
यादव पति ने आन मनाये।
विध्न हटा रख लाज,
आज दुश्मन ने करदे ठण्डा,
ठाठ तुम कर देना।।
आओ जी गणराज…
(3) तुम हो दाता देवा आदि अनादि के,
सब देवन मै अगवाणी गादी |
देवन के सिरताज लुट लो,
राम रस कि हाठ,
ठाठ तुम कर देना।।
आओ जी गणराज…
(4) रिद्वी-सिद्दी नारी देवा संग ले पधारो,
मुषक पे चढ देवा वैगा पधारो।
भेरव जोवे वाट खोल दो,
हृदय ध्यान का पाठ,
ठाठ तुम कर देना।।
आवो जी गणराज विनायक
वैगा बैठो पाट,
ठाठ तुम कर देना।
अरे ठाठ तुम कर देना हो,
ठाठ तुम कर देना।।
भजन भंडार