मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो री,
माखन नहीं खायो री ।
मैं माखन नहीं खायो मैया मोरी,
मैं नहीं माखन खायो री ॥
प्रातःसमय गऊवन के पीछे,
मधुबन मोय पठायो री ।
चार पहर बंशी वट भटक्यो,
सांझ पड़े घर आयो री ॥
मैया मोरी मैं नहीं…
मैं बालक अति छोटो कहियूं,
छीको किण विध पायो री ।
ग्वाल बाल मोरे संग रहत है,
मुख पर दही लिपटायो री ॥
मैया मोरी मैं नहीं…
तेरे मन में और बसत है,
जाने परायो जायो री ।
यह ले तेरी काली कमलिया,
झूठो दोष लगायो री ॥
मैया मोरी मैं नहीं…
कूद पड्यो जमुना रे माँहि,
नागनाथ कर आयो री ।
सूर कहे धन्य धन्य यशोदा,
कानो गोद खिलायो री ॥
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो री,
माखन नहीं खायो री ।