दोहा – आया हे सो जायेगा राजा रंक फ़क़ीर,
एक सिहांसन चढ़ चढ़े एक बंदे जंजीर II
सेलाणी में तो पामणा
कंचन वाली काया रे ,
सेलाणी में तो पामणा,
एक दिन जावा ला तो,
फेर नहीं आवाला,
कंचन वाली काया रे………..
लेणा वेजी ले लो रे ,
लावा इण हाथा सु,
मेलो बिछड़िया रे ,
बाद फेर पछतावा ला,
कंचन वाली काया रे………..
गाणा वे जो गालो रे,
गुरा सा वाला गीतड़ला,
करलो भलाई वालो काम,
जगत जस पावोला,
कंचन वाली काया रे………..
बोलो बोलो बोलो रे,
अमृत भरी वाणी,
भैरव भजमन राम,
अमर पद पावोला,
कंचन वाली काया रे………..