(तर्ज – आ लौट के आजा हनुमान)
आ लौट के आजा भोलेनाथ,
तुझे माँ गौरा बुलाती है,
तेरा सुना पड़ा रे कैलाश,
तुझे माँ गौरा बुलाती है,
आ लौट के आजा भोलेनाथ,
तुझे माँ गौरा बुलाती है……
अंगो पे विभूति गले में माला,
पहने है शंकर भोला ,
तुम हो सबका पालन हार,
तुझे माँ गौरा बुलाती है,
आ लौट के आजा भोलेनाथ,
तुझे माँ गौरा बुलाती है……
माथे पे चंदा जटा में गंगा,
जटा से बहती धारा,
सबका करता तू बेडा पार,
तुझे माँ गौरा बुलाती है,
आ लौट के आजा भोलेनाथ,
तुझे माँ गौरा बुलाती है……
हाथो में डमरू पास में त्रिशूल,
नंदी पे करता सवारी ,
सबका तू है पालनहार,
तुझे माँ गौरा बुलाती है,
आ लौट के आजा भोलेनाथ,
तुझे माँ गौरा बुलाती है……