घणी दूर सु दौडयो थारी,
गाडुली री लार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा,
जानो है नगर अनजान,
नरसी बोल्या,
मारे संग तू कै करसी,
ओढ़ण कपड़ा नाय,
वटे थू सिया मरसी,
फाटी टूटी गाडुली हा,
पैदल चाले हाथ,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा………
ज्ञानदासजी बोल्या,
गाडी तोड़ेला,
सूरदास जी बोल्या,
तुबड़ा फोड़ेला,
गणी भीड़ में टूटे मारे,
तंबूरा रो तार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा………
थैला माई रहयो,
पसेलो और पाटी,
किशनो मारो नाम,
जात को हु खाती,
भागी टूटी गाडुली ने,
कर दु ला तैयार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा………
झुडे ऊपर बैठ,
हांक सु में नारा,
थे करलो आराम,
दबा सु पग थारा,
घड़ी पलक में वेगा पहुचाऊ,
थाने नगर अनजान,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा………
नानीबाई रो भात,
देखबा चालू ला,
कुण पावलो थाली,
माय डालू ला,
चार -पांच दन चोखा-चोखा,
जीमु जी मनवार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा………
टूटी गाड़ी में है,
आज भी मान घणी,
नरसी गावे भजन सुने,
खुद श्याम धणी,
सोया बैठा पीठ थपेड़े,
जीवतो रे मोटीयार,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा………
कुण सांगे सा भक्त जटे,
हरि ना आया,
श्याम सुंदर मुस्काय,
फकड मोटा पाया,
दीन जाण कर रक्षा किदो,
पिलो दीना नाथ,
गाड़ी में बिठाले रे बाबा………
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