दोहा- आरी री भवानी वास कर,
तो मेरे घट के पट दे खोल,
रसना पे बासा करो,
तो मैया सूद शब्द मुख बोल,
हरि तेरो अजब निरालो काम,
अजब निरालो काम,
सांवरिया तेरो अजब निरालो काम,
माया की धन बांध पोटली,
करता गरभ गुमान,
करता गरभ गुमान,
आ माया अंत काम ना आवे,
अरे नही जाणे रे अज्ञान,
सुख में सुमिरण कोई नहीं करता,
दुःख में रटे तमाम,
हरि तेरो अजब निरालो….
मालीक मेरा सब कुछ तेरा,
क्यो भुला इन्सान,
क्यो भुला इन्सान,
तेरा तुमसे पा कर के नर,
बण बेठा धनवान,
हरि तेरो अजब निरालो….
नर तन चोला पाकर भोला,
रटयो नही भगवान्,
रटयो नही भगवान्,
क्या करता क्या करदे मालीक,
नही समझो तु अज्ञान,
हरि तेरो अजब निरालो….
एक दिन माटी मे मील जावे,
हाड मास और चाम,
हाड मास और चाम,
झूठी काया झूठी माया,
साचो है तेरो नाम,
हरि तेरो अजब निरालो….
तु ही वाहे गुरु तु ही अल्लाह,
तु ही ईश्वर राम,
तु ही ईश्वर राम,
कहे कबीर बुलाले में तेरे,
चरणों में करु विश्राम,
हरि तेरो अजब निरालो काम,
अजब निरालो काम,
सांवरिया तेरो अजब निरालो काम,