दोहा – पैर पिछाणी मोजड़ी नार पिछाणी नेह,
शब्द पिछाणी पारखी मोर पिछाणी मेह।।
दुश्मन की कृपा बुरी और भली सजन की त्रास,
बादल कर गरमी करे जद बरसन की आस ।।
समय बड़ी नर का क्या बड़ा, समय समय की बात,
कई समय का दिन बडा, तो कई समय की रात।।
समय बड़ी नर का क्या बड़ा, समय बड़ी बलवान,
भिला लूटी गोपियाँ जद वो ही अर्जुन वो ही बाण।।
वो ही अर्जुन वो ही बाण, बांदरा लंका लूटी सफल धणी के पास,
समय बड़ी का क्या बड़ा और समय बड़ी बलवान।।
भजन-
इस पहिये के साथ मानव का भाग्य बदलता है,
समय का पहिया चलता है, हां पहिया चलता है, समय का पहिया चलता है।
1.मरघट की वो करे नोकरी हरिश्चंद्र दानी,
अपने सुत की लाश को लेकर आई थी रानी,
खुद राजा बेटा भी बिन कर्ज ना जलता है,
समय का पहिया चलता है…….
2. अवधपुरी में रहने वाले पंचवटी आये,
चौदह बरस वनवास भोगकर फिर भी हरषाये,
मात-पिता की मान के आज्ञा, बन-बन फिरते है,
समय का पहिया चलता है…….
3. बाणधारी थे अर्जुन और भीम गदाधारी,
भरी सभा मे नग्न हो रही द्रोपदी सी नारी,
पांचो पाण्डव देख रहे है, जोर न चलता है,
समय का पहिया चलता है…….
4. समय-समय की बात देखलो समय बड़ा बलकारी,
समय चढ़ा दे पीठ हस्ति की समय बना दे भिखारी,
कहे मनोहर लाल समय का हा, मानव का भाग्य बदलता है,
समय का पहिया चलता है…….