थारो आयो काम नही अटके रे राख भरोसो भारी भजन लिरिक्स
थारो आयो काम नही अटके रे,
राख भरोसो भारी,
मीरा बाई ने कियो भरोसो,
मेवाड़ी महाराणो रूठो रे,
जहर कटोरों राणो जी परोस्यो,
कर चरणामृत घटक्यो रे,
गले हार बण्यो विषधारी रे,
राख भरोसो भारी……
करुणाकर ने द्रोपदा पुकारी,
दुष्ट दुशासन चीर रे उतारी,
एजी हस्तिनापुर में आये मुरारी,
छीन में द्वारिका जु सट्क्यो रे,
हरि आय बढ़ाई साड़ी रे,
राख भरोसो भारी……….
बचयो भक्त ने जल गई होली,
अगन खम्ब से बाथ भरोड़ी,
एजी हरि आय ने कष्ट हरयो रे,
फटके नृसिंह प्रकटयो रे,
प्रभु हिरणाकुश ने मारयो रे,
राख भरोसो भारी………
नरसी लारे नट नागरियो,
आवेलो मारो सेठ सांवरियो,
एजी नानी बाई रो भरयो रे मायरो,
आय वक्त पर खटक्यो रे,
हरि बाथा भर-भर डारी रे,
राख भरोसो भारी……….
दो पंछी बैठे डाली पर,
ऊपर बाज़ और नीचे शिकारी,
इतने में एक भुजंग भारी,
सेल बाज़ ने पटक्यो रे,
दोनो पंछी लिया उबारी रे,
राख भरोसो भारी……….
मन की दुर्गत दूर नी वेणी,
घट को घट अंतर पट होई,
गुरु कृपा से घणो है नैणी,
अरे भूल भरम में भटक्यो रे,
भेरू घणी नंगे है थारी रे,
राख भरोसो भारी………
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