
दोहा –
“गजानंद आनद करो,
और करो संपत में शीश।
दुश्मन को सृजन करो,
नुत जिमाऊ खीर।।”
भजन –
म्हाने बुद्ध दीजो गणराज गजानंद,
गोरी के नंदा।
म्हारा विघ्न हरो महाराज गजानंद,
गोरी के नंदा।।
पिता तुम्हारे है शिव शंकर,
मस्तक पर चंदा-२।
माता तुम्हारी पार्वती है -२,
ध्यावे जगत बन्दा।।
म्हाने बुद्ध दीजो गणराज गजानंद,
गोरी के नंदा।
मूषक वाहन दुंड दुन्दाला,
परसा हाथ लेन्दा-२।
गल वैजन्ती माल बिराजे-२,
चढ़े पुष्प गंधा।।
म्हारा विघ्न हरो महाराज गजानंद,
गोरी के नंदा।।
जो नर तुमको नहीं सुमरता,
उसका भाग्य मंदा -२।
जो नर थारी करे सेवना -२,
चले रिजक धंधा।।
म्हाने बुद्ध दीजो गणराज गजानंद,
गोरी के नंदा।
विघ्न हरण मंगल करण,
विद्या वर देंदा-२।
कहता कल्लू राम भजन से-२,
करे पापी फंदा।।
म्हारा विघ्न हरो महाराज गजानंद,
गोरी के नंदा।।
भजन भंडार