तर्ज – कजरा मुहब्बत वाला……….
आवो सत्संग में अंबे, अंबे करके भुज लंबे,
होकर के सिंह पे सवार, चोसठ जोगणिया भेरू लार।।
1. आवो सत्संग में अंबे, सिंह पे सवार होके,
डाले सत्संग में विघ्न, उनको मां आके रोको,
आवो मां कर किलकारी, खप्पर त्रिशूल करधारी।।
होकर के सिंह पे सवार………….
2. आवो जगदम्बे अंबे, एलवा उठाला माई,
हाड़ा राठौड़ा कंवरी, लाला और फुला बाई,
कालिका किले वाली, भक्तो की कर रखवाली।।
होकर के सिंह पे सवार………….
3. चंडी चावण्डा जरणि, आवो सब संकट हरणी,
आवो अब मैया करणी, भादवा भू भार हरणी,
झांतला जी वेगा पधारो, भक्तो का कारज सारो।।
होकर के सिंह पे सवार………….
4. मैया चरणों मे तेरे, बाबू दिनेश हैं,
नाथू अर्जुन गोपाला, भाई सुरेश है,
श्यामू नित परता पइया, करदे तू पार नईया।।
होकर के सिंह पे सवार………….