तर्ज – धन – धन अम्बे जोगणिया राणी
म्हारा भेरूनाथ सेलाणी, थारी माया कोई ना जाणि,
थारो ध्यान धरे मुनि ज्ञानी ओ भेरू मतवाला।।
1. पैदल चल कर थारे आया, भेरू अरज गणे री लाया,
थारा दर्शन काई आया।।
भेरू मतवाला………
2. टोली भक्ता की है आई, भेरू गणि अरज ले आई,
काई पलाणि बिलमाई।।
भेरू मतवाला………
3. सजा दी भोजन की है थाली, काई पावो आकर प्याली,
भर दे गोदी म्हारी खाली।।
भेरू मतवाला………
4. भेरू बाग लगायो भारी, छावै आंबा की हरियाली,
आवे घोड़ा सु नर नारी।।
भेरू मतवाला………
5. जगदीश थारा ही गुण गावे, थारा दर्शन कर वो जावे,
टाबर इच्छा मन मे लावे।।
भेरू मतवाला………