
(तर्ज – चांदी जैसा रंग है तेरा)
दोहा -हनुमत तेरी धाक से तो घुंजे लंका कोट,
पायक है श्रीराम का तो पेरण लाल लंघोट।।
पवनपुत्र है नाम तुम्हारा,
ओ अंजनी के लाल,
एक तू ही भगवान हो,
मेरे झूठा जग संसार,
राम के तूने काज सवारे,
लक्ष्मण प्राण बचाये,
द्रोणागिरी पर्वत पर जाके,
सरजीवन ले आये-2,
बूंटी पिला के प्राण बचाये,
ओ अंजनी के लाल……
रामनाम नित पत्थर को वो,
पानी मे तिराये,
राम लखन बैठे फिर दूजे,
देख देख मुस्काय-2
सिया का पता लगाया तूने,
ओ अंजनी के लाल……
एक हाथ में गदा उठाये,
दूजे में पर्वत लाये,
मंगल को सत्संग में तेरी महिमा गाय,
न पाए- महिमा अपरंपार,
चांदी का चोला चढ़ा है तेरे,
ओ अंजनी के लाल……