(तर्ज-मोरिया आछो बोल्यो रे ढलती रात में )
आवरा आछा बिराज्या बनकट पहाड़ में,
थारी छाया में बसे है मुल्क मेवाड़ आवरा,
आछा बिराज्या बनकट पहाड़ में,
आवरा जन्मी आसाजी घर ईश्वरी,
प्रकटी- प्रकटी रे जगतारण महामाई आवरा,
आछा बिराज्या बनकट पहाड़ में………
आवरा दूरा देशा सु आवे जातरी,
छाई महिमा यह थारो खुट आवरा,
आछा बिराज्या बनकट पहाड़ में………
आवरा हजार कोसा पर बांधे जेवड़ी,
लेते ही नाम होय आराम आवरा,
आछा बिराज्या बनकट पहाड़ में………
आवरा लूला लंगड़ा केई आवे पंगला,
करदे काया पलट पल माई आवरा,
आछा बिराज्या बनकट पहाड़ में………
आवरा दे दण्ड दुष्टा ने भक्त उबारणी,
खड़ा चेनराम सिर नाय आवरा,
आछा बिराज्या बनकट पहाड़ में………