कुण जाने या माया श्याम की अजब निराली रे,
यो त्रिलोकी को नाथ जाट के बण गयो हाली रे।।
1. जाट जाटणी निर्भय सोवे, सोवे छोरा छोरी रे,
चारभुजा रे पहरे ऊपर, कैया होवे चोरी रे,
चोर आवे जद ऊबो पावे, श्याम रुकाली रे।।
यो त्रिलोकी को नाथ जाट के बण गयो हाली रे………
2. सौ बीघा रो खेत जाट के, राम भरोसे खेती रे,
आधा में तो गेहूं चना और, आधा में दाणा मेथी रे,
चोर आवे जद चक्कर खावे, जावे खाली रे।।
यो त्रिलोकी को नाथ जाट के बण गयो हाली रे………
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3. बाजरिया रो राम सोगरो, ऊपर घी को लचको रे,
पालक की तरकारी रान्दे, भर मूली को बचको रे,
छाछ राबड़ी रो करे कलेवो, भर – भर थाली रे।।
यो त्रिलोकी को नाथ जाट के बण गयो हाली रे………
4. सोहनलाल लौहार कहे वो, घर भगता के आवे रे,
धाबलिया रे ओले बैठकर, खुब खीचड़ो खावे रे,
भगता के संग नाचे गावे, दे – दे ताली रे।।
यो त्रिलोकी को नाथ जाट के बण गयो हाली रे………