डस गयो कालो नाग,
कुँवर रोहीदास ने,
छाती भर आवे बेटा,
देखु थारी लाश ने,
हिवड़ो भर आवे……….
फूलड़ा तोड़न ने गयो,
गयो लालो बाग़ में.
डस गयो कालो नाग,
गोरे-गोरे हाथ पे,
जुलम कियो रे बेरी,
इस काले नाग ने,
हिवड़ो भर आवे……….
बोल रे बोल बेटा,
मुख से तो बोल रे,
माता थारी रोवे लाला,
अखियाँ तो खोल रे,
दुखड़ा दिखावे रे बेटा,
अपने ही बाप ने,
हिवड़ो भर आवे……….
लाला को लेकर रानी,
शमशान गई रे,
अपने हाथो से राणी,
चिता तो बनाई रे,
इतने में आये हरिश् चंद्र,
फेंक दिनी लाश ने,
हिवड़ो भर आवे……….
कहता है राजा,
सुन लो नी रानी,
मै तो भंगी के घर,
भरता हु पानी,
करज नहीं तो रानी,
साडी तेरे पास है,
हिवड़ो भर आवे……….
आधी साडी सु रानी,
करज चुकायो है,
आधी साडी सु रानी,
कफ़न बनायो है,
कफ़न ओढ़ा के रानी,
फूंक दिनी लाश ने,
हिवड़ो भर आवे……….
निल गगन से सुवन बरसे,
एक पुत्र बिना रानी तरसे,
शोभा राम चंद्र गावे,
प्रभु तेरे साथ है,
हिवड़ो भर आवे……….
डस गयो कालो नाग,
कुँवर रोहीदास ने,
छाती भर आवे बेटा,
देखु थारी लाश ने,
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