
शिवजी रम रहया रे पहाड़ा में,
गवरा पार्वती के संग,
पार्वती के संग शिवजी,
महारानी की संग।
हाथ में त्रिशूल शिव के,
भस्मी रमावत अंग-२,
मस्तक शिव के चन्द्र बिराजे,
जटा में सोहे गंग।
शिवजी रम रहया रे पहाड़ा में…….
छ:मण पि गया खारी तम्बाकू,
नौ मण पि गया भंग-२,
अमल थोकरा सारा खा गया,
रहे नशे में तंग।
शिवजी रम रहया रे पहाड़ा में…….
ढोलक ताल पखावज बाजे,
और बाजे मृदंग-२,
भोलेनाथ का डमरू बाजे,
महारानी के संग।
शिवजी रम रहया रे पहाड़ा में…….
कोरा-कोरा कलश मंगाया,
जामे गोला भांग-२,
सूरदास की काली कमलिया,
चढ़े ना दूजा रंग।
शिवजी रम रहया रे पहाड़ा में…….
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