(तर्ज- लेके पहला पहला प्यार)
मोहन बन गए नर से नार करके सोलह श्रृंगार,
गोकुल नगरी से आया है कोई जादूगर,
सिर पे धरी है मोहन छोटी सी कुण्डलिया,
चले इठलाते जाते राधा की नगरिया,
करते जाते है पुकार चुडिया ले लो कोई नार,
गोकुल नगरी से आया है…………
राधा ने सुनी कही ललिता बुलाई,
जावो-जावो-जावो मनिहारी को बुलाई,
ललिता दौड़ी आई द्वार ले गई मोहन को पुकार,
गोकुल नगरी से आया है…………
राधाजी कहे कहे सुनो मनिहारी,
रहती हो किस गाँव में प्यारी,
रहते गोकुल में सरकार करते चूड़ियों का व्यापार,
गोकुल नगरी से आया है…………
जब श्याम सुंदर ने पकड़ी कलाई,
राधाजी जान गई आया बनवारी,
मोहन हो गई मेरी हार,
अब तो माफ करो सरकार,
गोकुल नगरी से आया है…………
मोहन बन गए नर से नार करके सोलह श्रृंगार,
गोकुल नगरी से आया है कोई जादूगर,
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